गलती बैंक की, भुगत रहे है शिक्षक

मुजफ़्फ़रनगर। प्राथमिक शिक्षक वेतन भोगी कर्मचारी ऋण समिति के माध्यम से लोन लेने के बाद चुका देने वाले शिक्षक भी परेशानी झेल रहे है। एक सप्ताह पूर्व शामली व मुजफ़्फ़रनगर के लगभग 500 से अधिक बेसिक शिक्षकों को लगभग 6 करोड रूपये की रिकवरी के लिये नोटिस जारी किये गये थे। ये नोटिस उनके द्वारा पिछले सवा दशक में लिये गये ऋण के एवज में जारी किये गये थे। बैंक का आरोप है कि मुजफ्फरनगर प्राथमिक शिक्षक वेतन भोगी कर्मचारी सहकारी ऋण समिति के माध्यम से यह लोन जिला सहकारी बैंक कीशिवचौक शाखा ने दिये थे। इस बीच समिति व बैंक के बीच हुए मतभेद के चलते समिति व बैंक का कनेक्शन टूट गया था। इस बीच वर्ष 2012 में समिति द्वारा पीएनबी बुढाना में फर्जी खाता खुलवाकर करोडो रूपये का गबन कर लिया गया। इसके बाद बैंक की ओर से मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। अब जांच प्रक्रिया पूरी हुई, तो दोनों जिलों के लगभग 500 शिक्षक ऐसे है, जो इसकी जद में आये और इन्हें 6 करोड से ज्यादा की रिकवरी के नोटिस जारी किये गये। नोटिस जारी होने के बाद नौ शिक्षकों ने बैंक पहुंचकर समझौता प्रक्रिया के तहत लाखो रूपये की ध्नराशि जमा करा दी है तो वहीं कुछ शिक्षक अपने वकील के माध्यम से नोटिस भी दे रहे है कि उन्होंने लोन ही नहीं लिया। कुछ शिक्षकों ने आरटीआई को हथियार बनाकर इंसाफ की ठानी है।
बताया जाता है कि वर्ष 2007 में मुजफ़्फ़रनगर निवासी कुछ शिक्षकों ने एक समिति पंजीकृत करायी थी, जिसका नाम मुजफ्फरनगर प्राथमिक शिक्षक वेतनभोगी कर्मचारी समिति रखा गया था। इस समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश बालियान व सचिव पद पर संजय नामित किये गये थे। वर्ष 2007 से लेकर 2011 तक सब कुछ सही चला, इस बीच समिति का एक अन्य खाता पीएनबी बुढाना में खुलवाया गया, जहां से शिक्षकों के लोन की किश्त इस खाते में आनी शुरू हो गई, जहां से यह पैसा सरकारी बैंक को उनके लोन खाते में जाना था, मगर कुछ दिन तक यह पैसा ट्रांसफर हुआ और बाद में खाता खोलने वाले लोगो ने इस पैसे को खुद ही निकाल लिया। यह धनराशि सवा करोड से ज्यादा की बताई गई है। उस समय मामला खुलने के बाद सहकारी बैंक की ओर से बुढाना थाने पर गबन का मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसमें अध्यक्ष व सचिव के साथ बैंक मैनेजर पर भी आरोप लगाये गये थे। पुलिस ने जांच में चार्जशीट दाखिल की, उसी समय से इस प्रकरण में जांच लम्बित चल रही थी। लगभग आठ साल बीतने के बाद एक बार दोबारा रिकवरी का जिन्न बोतल से बाहर आ गया। सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक पंकज त्यागी ने मुजफरनगर व शामली के लगभग 500 शिक्षकों को लोन की रिकवरी का नोटिस भेजा था। नोटिस प्रक्रिया अभी चल ही रही है। लगभग बीस शिक्षक ऐसे है जो कि शाखा पहुंचकर अपने लोन का बकाया जमा कर करने को तैयार है, लेकिन कुछ शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन्होंने लोन लिया ही नहीं तो ऐसे में उन पर लोन का नोटिस आना गलत है। एक शिक्षक ने अपने वकील के माध्यम से बैंक को मान हानि का नोटिस दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने कभी लोन का पैसा लिया ही नहीं। ऐसे में नोटिस का कोई औचित्य नहीं बैठता। इस शिक्षक का खाता खंगलवाया गया तो पता चला कि शिक्षक के खाते में लोन की राशि ट्रांसफर की गई थी। वही नौ शिक्षकों ने यहां पहुंचकर अपना प्रत्यावेदन देकर पैसा जमा कराकर अपना खाता बंद करा दिया है। शाखा प्रबन्धक पंकज त्यागी हर रोज यहां शिक्षकों से रूबरू होते है, जिनका आरोप होता है कि वे अपने लोन की रकम पहले जमा करा चुके है। जिसके समर्थन में वे अपने वेतन बिल भी प्रस्तुत कर रहे है। लेकिन वर्ष 2011 से पूर्व का कोई रिकार्ड बैंक के पास नहीं है। बैंक के पास केवल आॅडिट के बाद की सूची है जिसमें यह दर्शाया गया है कि समिति के किस सदस्य पर कितना बाकी रह गया था। इस मुद्दे पर कुछ शिक्षकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दस्तक दी है। इनका कहना था कि वर्ष 2013 से पूर्व के लोन के नाम पर परेशान किया जा रहा है।